गीत नवगीत कविता डायरी

02 January, 2010

Happy New Year 2010

निसंदेह,अध्याय दर्द का,बहुत बड़ा है !
पन्ने विरहातप के कितने ज्ञात नहीं !
जिल्द चढ़ाये रक्खी मैने सदा हास की!
आज आवरण हटा बंधुवर अनायास ही !!
तुमने झांक लिया मन,अंतर-तम मेरा ,
एक व्यथामय महाकाव्य है जीवन मेरा !!