गीत नवगीत कविता डायरी

12 January, 2013

मेरी माँ ..!!


अपने पल्लू में बाँध लीं तुमने,सारे घर की व्यथाएँ, मेरी माँ ,
चूल्हे चौके से घिरी,प्यार भरी,घर को घर सा बनाएँ, मेरी माँ // 

अंक में प्यार भरे ,
सोच को पंख दिए,
पूजे बरगद तुलसी ,
हाथ में शंख लिए /
अपनी चोटi में गूँथ लीं तुमने,मेरे सर की बलाएँ ,मेरी माँ //
अपने पल्लू में बाँध लीं तुमने,सारे घर की व्यथाएँ, मेरी माँ ,

तेरे वरदान फले ,
मुझको सम्मान मिले /
चार धामों के सभी,
पुण्य चरणों में मिले /
मेरे जीवन में कड़ी धूप बढ़ी,अपना आशिष उढ़ाएँ,मेरी माँ //
अपने पल्लू में बाँध लीं तुमने,सारे घर की व्यथाएँ, मेरी माँ ,

भोर की पहली किरण,
प्रार्थनाओं का चलन /
सब दवाओं में दुआ
मंत्र पढ़ती है छुअन /
दर्द को दूर उड़ा ले के गईं/ बनके ठण्डी हवाएँ मेरी माँ //
अपने पल्लू में बाँध लीं तुमने,सारे घर की व्यथाएँ, मेरी माँ ,

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