कठिन समय में योग्य-मनुज
हर दुख,बिसार गाते हैं !
एकलव्य से शिष्य गुरु का
ऋण,उतार जाते हैं !!
अटल साधना ध्रुव जैसी
नभ तक ,प्रसार पाती है ,
अथक लगन के सम्मुख पथ के,
शूल हार जाते हैं ..!!
एकलव्य से शिष्य गुरु का
अटल साधना ध्रुव जैसी
अथक लगन के सम्मुख पथ के,
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना..लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
ReplyDeleteआदरणीय सराहना हेतु आपका आभार ...
ReplyDeleteआपको भी हार्दिक मंगल कामनाएँ ..
आशीर्वाद बनाए रखें ......!!