कठपुतलियाँ
लगीं नाचने
इशारों पर उँगलियों के ..!!
कभी सांस ज़रा ऊपर
तो कभी ज़रा नीचे !
न हँसी हुई अपनी
न आँसू रहे अपने,
उतना ही बढ़े पग
वो जितनी डोर खींचे !
देखो ना
परदा उठते ही
बदल गया
क़िरदार !
- भावना
परदा उठते ही
बदल गया
क़िरदार !
- भावना
क्या बात ! गज़ब का किरदार निभाया है ...
ReplyDelete- पंकज त्रिवेदी
आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूब !
ReplyDeleteAAP SABHI KAA SARAAHNAA HETU BAHUT - BAHUT SHUKRIYAA
ReplyDeleteबहुत खूब। बधाई।।
ReplyDeleteBAHUT BAHUT SHUKRIYAA Rajeev Ranjan Giri ji.....
ReplyDeleteभावना जी,
Deleteएक राय.
आप हिंदी में लिखती हैं, तो हिंदा में टिप्पणी क्यों नहीं करतीं.
अपनी हिंदी रचना पर आपके द्वारा ही अंग्रेजी में टिप्पणी ...
अच्छी नहीं लग रही है.
जरा सोचे विचारें एवं जो सही लगे करें.
अयंगर.
laxmirangam.blogspot.in
परदे के पीछे के किरदार ... परदे के बाहर के किरदार
ReplyDeleteबहुत खूब