गीत नवगीत कविता डायरी

02 January, 2010

Happy New Year 2010

निसंदेह,अध्याय दर्द का,बहुत बड़ा है !
पन्ने विरहातप के कितने ज्ञात नहीं !
जिल्द चढ़ाये रक्खी मैने सदा हास की!
आज आवरण हटा बंधुवर अनायास ही !!
तुमने झांक लिया मन,अंतर-तम मेरा ,
एक व्यथामय महाकाव्य है जीवन मेरा !! 

2 comments:

  1. फलक वही है सितारें वही हैं
    जीवन के सारे नज़ारें वही हैं
    मगर अब हमारी उम्मीदें नयी हैं
    हौसला नया है सोच नयी है.

    नए हौसले और नयी सोच के साथ नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

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  2. यही जीवन है - बहुत खूब

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