मोम ह्रदय जलने को आतुर,
प्राण तडपती पीड़ा बाँटें..
किसे समय अंतस में झांके !
शहर भागता दौड़ा जाये
ना पकड़ा ना छोड़ा जाये !
पिंजरे की सांकल ना खुलती
द्वार न तम का तोडा जाये !
अंतहीन चिर मेरा चलना
जीवन छोटा लम्बी राहें !!
आदि अंत का छोर न जानूं
तू मुझमें बस इतना जानूं !
सात युगों से प्रण है मिटकर
एक बार प्रिय तुमको पालूँ !
सप्त-तलों की गहराई है
अधर सिन्धुतट पर भी प्यासे !!
किसे समय अंतस में झांके.... !
प्राण तडपती पीड़ा बाँटें..
किसे समय अंतस में झांके !
शहर भागता दौड़ा जाये
ना पकड़ा ना छोड़ा जाये !
पिंजरे की सांकल ना खुलती
द्वार न तम का तोडा जाये !
अंतहीन चिर मेरा चलना
जीवन छोटा लम्बी राहें !!
आदि अंत का छोर न जानूं
तू मुझमें बस इतना जानूं !
सात युगों से प्रण है मिटकर
एक बार प्रिय तुमको पालूँ !
सप्त-तलों की गहराई है
अधर सिन्धुतट पर भी प्यासे !!
किसे समय अंतस में झांके.... !
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