भावना तिवारी -भावांकन
गीत नवगीत कविता डायरी
12 January, 2013
ज़मी सुखा दी ,फसल सुखा दी ,
नदी में प्यासीं मरीं ,मछलियाँ !
भरे समंदर पै जाके बरसे,
जलद खुदाया क्या फायदा है ?
जिए तो मिलने कभी दिया ना,
मरे तो लाखों बने फसाने ,
गजब ज़माने के फलसफे हैं ,
अजब मुहब्बत का कायदा है..!!
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