पहचान
मुझको जैसा चाहा
दिया आकार
गीली मिट्टी बन
मैं ढल गई
तुम्हारे साँचे में ...!!
मुझपर जैसा चाहा
रंग चढ़ाया
सादा कैनवास बन
मैं समा गई
तुम्हारी तूलिका में ..!!
मुझको शब्दों में
पिरोया तुमने
मैं बन गई कविता ...!!
पर,जब आज मैंने
चाही तलाशनी
पहचान अपनी ...
आईना देख
मैं हो गई
पानी-पानी !!
~भावना~
nicePoetry : Hindi Kavita, English Poems, Urdu Shayari & Punjabi Poetry
ReplyDelete