गीत नवगीत कविता डायरी

19 June, 2013

पहचान

मुझको जैसा चाहा 
दिया आकार 
गीली मिट्टी बन 
मैं ढल गई 
तुम्हारे साँचे में ...!!
मुझपर जैसा चाहा 
रंग चढ़ाया 
सादा कैनवास बन 
मैं समा गई 
तुम्हारी तूलिका में ..!!
मुझको शब्दों में 
पिरोया तुमने 
मैं बन गई कविता ...!!
पर,जब आज मैंने 
चाही तलाशनी
पहचान अपनी ...
आईना देख 
मैं हो गई 
पानी-पानी !!
~भावना~ 

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