आज फिर बरसे हैं बादल जोर से ,
मन बहकने सा लगा है ..!!
धुल गए पत्ते सभी/
लग रहे सब ही नए ,
छू गई हौले से फिर,खुशबू कोई,
मन महकने सा लगा है ...!!
इक घटा है घोर काली
लड़ रही है पास वाली ,
प्रीत की,लगतीं पुजारन बिजलियाँ,
मन दहकने सा लगा है ..!!
सांवली सी हो गई हूँ
और चंचल हो गई हूँ ,
गा रही हूँ, गीत तेरी याद मैं ,
मन तड़पने सा लगा है ..!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से..!!!
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